एक किशोर की शहादत
भारत के कम उम्र के शहीदों में एक अमर शहीद खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के बहुवैनी गाँव में त्रिलोकनाथ बोस के यहाँ हुआ था। उनकी माता का नाम लक्ष्मीप्रिया देवी थी। इस नौजवान ने हिन्दुस्तान पर अत्याचारी सत्ता चलाने वाले ब्रिटिश साम्राज्य को ध्वस्त करने के संकल्प में अलौकिक धैर्य का परिचय देते हुए पहला बम फेंका और 18 वर्ष और कुछ माह की आयु में ही हाथ में गीता लेकर हँसते-हँसते फाँसी के फन्दे से झूल गए ।
स्कूल छोड़ने के बाद खुदीराम रिवोल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और वन्दे मातरम् पैफलेट वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। सन 1905 में बंगाल के विभाजन (बंग-भंग) के विरोधवाले आन्दोलन में उन्होंने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया । इतिहासकार मालती मलिक के अनुसार 28 फरवरी 1906 को खुदीराम बोस गिरफ्तार कर लिये गये लेकिन वह कैद से भाग निकले। लगभग दो महीने बाद अप्रैल में वह फिर से पकड़े गये। तारीख 16 मई 1906 को उन्हें रिहा कर दिया गया। तारीख 6 दिसंबर 1907 को खुदीराम ने नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया परन्तु गवर्नर बच गया। सन 1908 में उन्होंने दो अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला किया, लेकिन वे भी बच निकले ।
इसके परिणामस्वरूप किंग्जफोर्ड को पदोन्नति देकर मुजफ्फरपुर में सत्र न्यायाधीश के पद पर भेजा। ‘युगान्तर’ समिति कि एक गुप्त बैठक में किंग्जफोर्ड को ही मारने का निश्चय हुआ।किंग्जफोर्ड पर 1908 में हमला करने के कारण उन्हें मुज़्ज़फ़रपुर में फाँसी दी गई ।