काशी
बनारस में भगीरथ गंग की शुचि धार होती है,
सभी की जिंदगी इस नीर से भव पार होती है।
पिनाकाकार गंगा के तटों पर राजती काशी,
पहर आठों शिवालय में महा जयकार होती है।
छने भाँगों की बूटी भस्म काया भाल पर टीका,
त्रिफल डमरू गले में साँप की फुँफकार होती है।
कबीरा दास तुलसी संत कीनाराम रैदासा,
सगुण निर्गुण भजन रस से धरा गुलजार होती है।
अघोरी पान साड़ी सांड़ सीढ़ी और सन्यासी,
अवध शिक्षा सुसंस्कृति सभ्यता संचार होती है।
— अवध