गीतिका/ग़ज़ल

काशी

बनारस में भगीरथ गंग की शुचि धार होती है,
सभी की जिंदगी इस नीर से भव पार होती है।

पिनाकाकार गंगा के तटों पर राजती काशी,
पहर आठों शिवालय में महा जयकार होती है।

छने भाँगों की बूटी भस्म काया भाल पर टीका,
त्रिफल डमरू गले में साँप की फुँफकार होती है।

कबीरा दास तुलसी संत कीनाराम रैदासा,
सगुण निर्गुण भजन रस से धरा गुलजार होती है।

अघोरी पान साड़ी सांड़ सीढ़ी और सन्यासी,
अवध शिक्षा सुसंस्कृति सभ्यता संचार होती है।

— अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन