कवितापद्य साहित्य

कितने जटिल हैं कुछ लोग

कितने जटिल हैं कुछ लोग, जो अब भी नहीं सुधर रहे,
ग़मगीन हालातों में भी, मनमानी करने से नहीं डर रहे,

समय ऐसा है जब सभी का एक ही लक्ष्य होना चाहिए,
मिलकर महामारी से निपटना ही, उद्देश्य होना चाहिए,

अपना और पराया, विषम परिस्थिति में पता चलता है,
जिस माटी में पले, क्या उससे कोई दगा कर सकता है,

हैं हज़ारों चेहरे, जिनने अपना असली रूप दिखाया है,
कल्पना भी नहीं की थी, ऐसा जख्म देश को दे डाला है,

देश माफ़ नहीं करेगा, ऐसे नापाक इरादे रखने वालों को,
शर्मिंदा होगी पीढ़ी उनकी, देखकर इतिहास के पृष्ठों को,

काश मान लिए होते सभी ने जो दिए गए थे हमें आदेश,
हालात कुछ और होते, जो कुछ लोग ना करते ऐसा द्वेष।

रत्ना पांडेवडोदरा (गुजरात)

रत्ना पांडे

रत्ना पांडे बड़ौदा गुजरात की रहने वाली हैं । इनकी रचनाओं में समाज का हर रूप देखने को मिलता है। समाज में हो रही घटनाओं का यह जीता जागता चित्रण करती हैं। "दर्पण -एक उड़ान कविता की" इनका पहला स्वरचित एकल काव्य संग्रह है। इसके अतिरिक्त बहुत से सांझा काव्य संग्रह जैसे "नवांकुर", "ख़्वाब के शज़र" , "नारी एक सोच" तथा "मंजुल" में भी इनका नाम जुड़ा है। देश के विभिन्न कोनों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र और पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। ईमेल आई डी: [email protected] फोन नंबर : 9227560264