कविता

मजदूरनी

लॉकडाउन में 20 लाख से अधिक
मजदूर वापस घर आये
घर में भी मजदूर और बाहर भी,
हम और आप भी,
बे-सहारा और अनाथ भी,
लंगड़े-लुलहे और दर्दनाक भी ।
पटना फुट पाथ पर सोते
या महानगरों के स्ट्रीट लाइटों में
पुरुषों को मोहती अंदाज में,
कामगार लड़कियाँ !
मर्मान्तक पीड़ा लिए जीती,
मजदूरनी !
फिर ये क्या है बिहारी होने की छटपटाहट लिए
दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता में सरेआम छीना झपटी,
देश की पौने भर आबादी बेरोजगार !
बिहार, यूपी, झारखंड, छतीसगढ़ के जिलों में
मजदूरी कर रहे,
और है घर से त्यक्त,
चाह और इच्छाओं के मध्य फंसकर
अपना लक्ष्य तक भूल रहे,
आह ! मजदूर दिवस ?
याह मजबूर दिवस !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.