बिहार में वर्त्तमान शिक्षा-व्यवस्था !
‘शिक्षा’ पहले भारतीय संविधान के ‘राज्य सूची’ में था, किन्तु राज्य सरकारों के बार-बार मनमानी के कारण 1976 में 42वें संविधान संशोधन के आलोक में ‘शिक्षा’ को ‘समवर्त्ती सूची’ में रखा गया, जिनमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार — दोनों के संयुक्त हस्तक्षेप पर ही इस संबंध में ‘नियमन’ बनाये जाएंगे, बावजूद एक राज्य सरकार (बिहार) ने 2006 में ‘शिक्षा’ को ‘पंचायत’ के जिम्मे सौंप दिया और शिक्षकों के नाम ‘नियोजित शिक्षक’ कर दिया ।
हद तो तब हुई, जब 2018 में केंद्र सरकार ने बिहार सरकार के इस कृत्य में हाथ से हाथ मिला बैठे !
बिहार सरकार को चाहिए, वे नियोजित शिक्षकों के विभाग बदल देने की कृपा करें ! उन्हें ‘शिक्षा विभाग’ से हटाकर ‘आपदा प्रबंधन विभाग’ में डाल दीजिए, क्योंकि ऐसे शिक्षकों को आपने तो ‘आपदा शिक्षक’ बना छोड़े हैं ।
इनकी चित भी उनकी नहीं है, पट तो है ही नहीं ! चित और पट — दोनों तरह का खेल बिहार सरकार वर्ष-2006 से इनके साथ खेल रहे हैं !