4 महत्वशील कविताएँ
1.
मदर टेरेसा
मदर टेरेसा कोई नहीं उनमें
मेरी कॉम बस इक्का-दुक्का
लड़कों में उच्च शिक्षा पाए
कितने साथी हैं हमारे
क्या हमारी चादरों की लंबाई
पाँव से बाहर होकर आवारागर्दी करने में है
हम शॉर्टकट चाहते हैं, सामने की अट्टालिका निहारते हैं
स्वयं तो कुछ करते नहीं,
बस दूसरे की छाती और नितंब निहारते हैं
हाँ, 84 लाख योनियों में सिर्फ मानव ही ऐसा कर सकता है !
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2.
औरत के जूठे ओठ
क्या हम पुंलिंग
औरत-औरत रटते हैं सिर्फ
परनारी पे लार टपकाने ही
हम पुंलिंगों के व्याकरण हैं
पर जिनकी बीवी सुंदर है,
वो क्यों बाज़ार जाते हैं ?
क्या धनी और सुंदर औरत सुनंदा पुष्कर हो जाएंगी !
इसलिए बचिए, इसे यूँ ही पहेली नहीं कही जाती !
कि हुक्के का मुँह और औरत के ओठ जूठे नहीं होते
निराला जी ने कहा था कभी !
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3.
नीतीश काका
सोचता हूँ, अपना नीतीश काका
खाँटी बिहारी हैं, यही ठीक रहेगा
कि सचिन क्रिकेट के भगवान की भाँति
वे भी नियोजित शिक्षकों के भगवान हो जाय
कि जड़ी-बूटी बाँचने का लंबा अनुभव है उन्हें
पुड़िया में अच्छी गाँठ लगाते हैं
फिर तो काकी भी शिक्षिका थी
काका को आगे बढ़ाने में
काकी की योगदान रही !
वरना तो इंजीनियरिंग डिग्री फाड़ चुके है !
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4.
राष्ट्रनिर्माता शिक्षक
सिंगल रहनेवाले माननीयों की
संपत्ति/सुख/सुविधाएँ
करोड़ों में हैं
पर उन माननीयों की नजर में
राष्ट्रनिर्माता शिक्षक
अभिशप्त हैं !
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