कविता
ख्वाबो को उस संग खूब संजोया है मेने,
बीज मोहब्बत का बड़े प्यार से बोया है मैने,
उस फूल को अब यू मुरझाने तो कैसे दू,
मैं अपने आप को उसे भूलने कैसे दु!!
अपने अल्फाज़ो से उसे खूब सजाया है मेने,
अपने सफर का हमसफर उसे बनाया है मेने,
किरदार उसका जिंदगी में खत्म यू होने कैसे दु,
मैं अपने आप को उसे भूलने कैसे दु!!
चाहत उस संग अपनी ही दुनिया बनाने का है,
ख्वाब उस संग पल हर पल को जी आने का है,
ख्वाबो को अपने यू घुट घुट कर मरने कैसे दु,
आखिर मैं अपने आप को उसे भुलने कैसे दु!!
— अमन न्याती