बिना मात्राओं वाला छंद
अजब-गजब जग, नर छल मत कर,
धरम-करम कर, जनम सफल कर ।
यह तन, मन,धन,जल,थल, परबत,
सब अब रब कर, कनक,कनक,चर।
मन खग जस बन,अब कलरव कर,
धर न भरम पथ, यह जग सरवर ।
कदम-कदम पर,खटपट मत कर,
छल बल तज हर, शरण ग्रहण कर।
— सुरेश मिश्र
अजब-गजब जग, नर छल मत कर,
धरम-करम कर, जनम सफल कर ।
यह तन, मन,धन,जल,थल, परबत,
सब अब रब कर, कनक,कनक,चर।
मन खग जस बन,अब कलरव कर,
धर न भरम पथ, यह जग सरवर ।
कदम-कदम पर,खटपट मत कर,
छल बल तज हर, शरण ग्रहण कर।
— सुरेश मिश्र