कविता

बिना मात्राओं वाला छंद

अजब-गजब जग, नर छल मत कर,
धरम-करम कर, जनम सफल कर ।
यह तन, मन,धन,जल,थल, परबत,
सब अब रब कर, कनक,कनक,चर।
मन खग जस बन,अब कलरव कर,
धर न भरम पथ, यह जग सरवर ।
कदम-कदम पर,खटपट मत कर,
छल बल तज हर, शरण ग्रहण कर।

— सुरेश मिश्र

सुरेश मिश्र

हास्य कवि मो. 09869141831, 09619872154