ग़ज़ल
भरी बन्दूक, तुम गोली चला देना
अभी अबला नहीं नारी, दिखा देना |
अगर अब शत्रु टेढ़ी आँख से देखे
सड़क पर शत्रु की लाशें बिछा देना |
कभी फिर देश पर हमला करे कोई
उन्हें अपराध के सममिति सजा देना |
उठाया अस्त्र जब पीछे नहीं मुड़ना
दहलता दुश्मनों के दिल हिला देना |
हमारे देश की सीमा छुना चाहे
अरी के देश मिटटी में मिला देना |
चलाओ प्रेम की गोली दिलों पर तुम
सदी की शत्रुता उनकी मिटा देना |
दिले जख्मी जो’ जीते हैं यहाँ ‘काली’
उन्हें तुम प्यार का मरहम लगा देना |
कालीपद ‘प्रसाद’