ठहरी जिंदगी में आए,
तुम बनके सुखद स्पंदन।
बबूल से कटीले पल,
हो गए चंदन चंदन।
तुमने प्यार से दस्तक दी, भावना की देहरी पे।
खुशियों के बादल घुमड़ने लगे,मेंरी जिंदगी पे।
तुम्हारे प्यार का पारस,
कर गया मुझे कंचन।
बबूल से कंटीले पल,
हो गये चंदन चंदन।
बरसते मौसम ने यूं, शरबती रंग उछाले।
दिल की वसुंधरा पे,फैल गये उजाले।
सांसों ने सांसों से,
बांध लिया मधुर गठबंधन।
बबूल से कंटीले पल,
हो गये चंदन चंदन।
प्रियतमें तुम क्या हो,रुप का छलकता सागर हो।
मैं दिल तुम धड़कन,मैं फूल तुम मधुकर हो।
मेंरी आंखों में बस गए,
तुम्हारे समर्पित नयन।
बबूल से कंटीले पल,
हो गये चंदन चंदन
— ओमप्रकाश बिन्जवे ” राजसागर “