छोड़ भी दे
चाह आसरों की रखना छोड़ भी दे
सहारा औरों का करना छोड़ भी दे
खुश रखना खुद को तेरी जिम्मेदारी
ये रोना धोना सिसकना छोड़ भी दे
चांद का झूला महज किताबी कहानी
जज़्बातों में बहके रहना छोड़ भी दे
होते नहीं ख्वाब ख्यालों से मुकम्मल
लकीरें ताबीजें आजमाना छोड़ भी दे
बेमतलब के रिश्ते हुए गुजरा जमाना
बेमकसद घुलना मिलना छोड़ भी दे
दो पल भी दुनिया नहीं याद करेंगी
तू ख्वाइशें दफन करना छोड़ भी दे
नकाबपोशी का चलन है जोरों पर
खामख्वाह चेहरे पढ़ना छोड़ भी दे
झुकती है दुनिया शोहरतों से पलाश
अब पत्थर नींव का बनना छोड़ भी दे