धरती को ‘बैलेंस’ करना
अपनी डायरी में साल 2020 के कुछ माह बीतने के बाद भारत में, खासकर उत्तर भारत में भूचाल यानी भूकम्पीय कम्पन लगातार आ-जा रहे हैं ! इसी बीच देश के उत्तरवर्त्ती क्षेत्र से पूर्ववर्त्ती क्षेत्र की ओर बढ़ चले वायु में और भूमि पर विचरण करने में सक्षम ‘लोकस्ट ग्रुप’ यानी अंखफोड़वा कीट यानी टिड्डियों की भारी संख्या में आगमन पर्यावरणीय संकट के रूप में है या अन्य प्राणियों लिए मानवीय संवेदनाओं को सचेत करने को लेकर है, यह प्रश्न निरंतर अकुलाए हुए है ! क्या यह कीट समूह किसी बड़ी आपदाओं के सचेतक (Informer) के रूप में है यानी भूचाल व भूकंप आगमन की पूर्व या उत्तरवर्त्ती सूचना लिए है या इस जीवों की मनश्चेतना वृहद ‘पावर’ लिए है ? तब उनके Earthquake Connection लिए होने में कुछ भी अतिश्योक्तिवाली बात नहीं है ! पर्यावरण को बचाने के लिए वन संरक्षण सहित वन्यजीवों के संरक्षण भी आवश्यक हैं । पृथ्वी को ‘बैलेंस’ में रखने के लिए शहरीकरण और प्रदूषण कम से कम हो ! इसके साथ ही भूकम्प पर काबू पाने के लिए भूगर्भ शास्त्रियों को समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों से भी परामर्श लेनी चाहिए, ताकि लोकस्ट जैसे अन्य कीट-पतंगें या अन्य हलचल के माध्यम से भूकम्पपूर्व चेतावनी हेतु संभावनाएँ तलाशने चाहिए!