आत्महत्या और क्रोध
झूलते हैं एक ही पालने में
मानसिक तनाव के झोंकों से
सब उलट-पलट हो जाता है,
यह जीवन बहुत कीमती है
किसी कशमकश में न रहना
प्यार से सींच कर इस मनचले को
शुद्ध विचारों का जमा पहना
पालना पोसना।
अगर चाहते हो करना आत्महत्या !
तो उन कुवृत्तियों,कुविचारों
की करना,
जो अनचाहे आकर
हृदय पर कुठाराघात कर जाते हैं,
मन-मस्तिष्क पर ठोकर मारकर
दोस्ती का हाथ पीछे खींच लेते हैं।
मिलता है यह नर तन
असीम पुण्य कर्मो के फल से
हर पल रखो इसको जतन से
तुच्छ क्षणिक क्रोध के वशीभूत होकर
देकर आत्महत्या की गाति
तुम इसे यूंही व्यर्थ न गंवाना।
— निशा नंदिनी भारतीय