दिनकर जी के चार अध्याय
उनकी पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा काव्यकृति ‘उर्वशी’ के लिये भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुए । अपनी लेखनी के माध्यम से वह सदा अमर रहेंगे। द्वापर युग की ऐतिहासिक घटना पर आधारित महाभारत के प्रसंगार्थ उनके प्रबन्ध काव्य ‘कुरुक्षेत्र’ को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ काव्यों में 74वाँ स्थान मिला । उन्होंने सामाजिक और आर्थिक समानता और शोषण के खिलाफ कविताओं की रचना की।
एक प्रगतिवादी और मानववादी कवि के रूप में उन्होंने ऐतिहासिक पात्रों और घटनाओं को प्रखरतम शब्दों के सहारे बुना । उनकी महान रचनाओं में ‘रश्मिरथी’ और ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ शामिल है । ‘उर्वशी’ को छोड़कर दिनकर की अधिकतर रचनाएँ वीर रस से ओतप्रोत हैं । कवि भूषण के बाद उन्हें वीर रस का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है। ज्ञानपीठ से सम्मानित उनकी रचना उर्वशी की कहानी मानवीय प्रेम, वासना और इतर सम्बन्धों के इर्द-गिर्द धूमती है।