कविता

यादें जीवन की

(अभिनेता सुशांत सिंह की आत्महत्या पे)
इतनी-सी क्या देर हो गई तुझे ,
तुम्हें आए कितना दिन हुआ ,
ऐसे कोई थोड़े जाता है भला क्या ,
ये जिंदगी कोई खेल थोड़े है ,
चौतीस यैवन देख चुके तुम ,
क्या इतना ही ज्यादा हो गई ,
इस छोटी-सी जिंदगी मे ,
जीवन क्यों मजबूर हूई ,
अभी सारा जीवन बाकी था ,
शुरुआत तो अब हुई थी ,
दूसरे की हौसला देने वाले ,
स्वयं क्यूँ तू हार गए तुम ,
इस नश्वर दुनिया मे तुम ,
मौत को क्यूँ दोस्त बना लिए तुम ,
अभी और अधियारा आता भी ,
इतनें मे क्यूँ हार गए तुम ,
जीने का सलीका सिखाने वाले ,
स्वयं सलीका भुल गए तुम ,
युवा जीवन के पायदान पे चढ़ते ,
दुनिया से क्यूँ रूठ गए तुम ,
सबके चेहरे पे हँसी लाने वाले ,
स्वयं डिप्रेशन मे चले गए तुम ,
इस बेखुदी दुनिया मे ,
जीवन से हार गए तुम !
— रुपेश कुमार

रूपेश कुमार

भौतिक विज्ञान छात्र एव युवा साहित्यकार जन्म - 10/05/1991 शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी , इसाई धर्म(डीपलोमा) , ए.डी.सी.ए (कम्युटर),बी.एड(फिजिकल साइंस) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! प्रकाशित पुस्तक ~ *"मेरी कलम रो रही है", "कैसें बताऊँ तुझे", "मेरा भी आसमान नीला होगा", "मैं सड़क का खिलाड़ी हूँ" *(एकल संग्रह) एव अनेकों साझा संग्रह, एक अंग्रेजी मे ! विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओ मे सैकड़ो से अधिक कविता,कहानी,गजल प्रकाशित ! राष्ट्रीय साहित्यिक संस्थानों से सैकड़ो से अधिक सम्मान प्राप्त ! सदस्य ~ भारतीय ज्ञानपीठ (आजीवन सदस्य) पता ~ ग्राम ~ चैनपुर  पोस्ट -चैनपुर, जिला - सीवान  पिन - 841203 (बिहार) What apps ~ 9934963293 E-mail - - [email protected]