गीतिका/ग़ज़ल

जिंदगी

जिंदगी इक जंग का मैदान है,
बीच में इसके फँसा इंसान है।

पार करना जिंदगी की सिंधु को,
मान लो होता नहीं आसान है।

है परीक्षा ज्यों हमारी जिंदगी,
पास अथवा फेल से अनजान है।

कर्म से प्रारब्ध से निज भाग्य से,
हाथ हर आया – गया सामान है।

है चुनौती जिंदगी में लाख लेकिन,
हारकर चुप बैठता नादान है।

साँस के आवागमन का खेल यह,
और इस पर ही जहाँ कुर्बान है।

वक्त से दो हाथ करता चल अवध,
जिंदगी में कर्म ही पहचान है।

— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन