लघुकथा

तूफान

तूफान
रवि ने गुस्से में फोन पटक दिया| इसने कभी मेरी बात नहीं मानी। विदेश में जॉब करने की जिद्द लगा रखी थी।यही चाहत थी,इसकी।वह बिस्तर पर लेट गया, उसकी आँख लग गई।
रवि उठो,कब तक सोते रहोगें?माँ की आवाज में नाराजगी साफ झलक रही थी।हाँ, माँ उठ रहा हूँ।रोज-रोज देर तक बिस्तर में पड़े रहना, मेरी समझ में आ रहा, आखिर कब तक अपनी बूढ़ी माँ को सताते रहोगें?
शादी कर लो।हाँ,माँ कर लूँगा शादी।वह उठकर बाथरूम में चला गया।फोन की घण्टी बज उठी।रवि,तेरा फोन है,माँ गुस्से में चिल्लाई।फोन पर रोने की आवाज सुनकर रवि का मन बैठ गया।क्या हुआ, सुमन तुम रो क्यों रही हो?
सुमन:रवि-मैं वापस आना चाहती हूँ।
रवि:-क्या हुआ?मेरी जिंदगी में तूफ़ान आ गया, अब मैं नहीं बचूँगी।मुझें बहुत डर लग रहा है।कौनसा तूफ़ान आ गया है?
रवि,यहाँ पर एक महामारी फैल गई है, पूरे इटली में लोग मर रहे हैं।मैं वापस आना चाहती हूँ,अपने रवि के पास,मैं कोरोना से मारना नहीं चाहती, मुझें बचा लो।
सुमन,खुद को संभालो,सब ठीक हो जाएगा।
सुमन:-कुछ भी ठीक नहीं होगा। तुम मुझे झूठा दिलासा मत दो,रवि।मुझें लग रहा है,मैं भी कोरोना की चपेट में आ चुकी हूँ।मैं सुबह की फ्लाइट से वापिस आ रही हूँ, अपने देश।
रवि,बुरी तरह घबरा गया।
अगली सुबह, सुमन को एयरपोर्ट पर ही जाँच के लिए रोक लिया गया।उसे कुछ दिनों के लिए हॉस्पिटल में आइसोलेट कर दिया गया।रवि उसे खिड़की के बाहर से ही निहारता रहता।वह लगातार उसका हौसला बढ़ता रहा।
रवि:-डॉक्टर साहब,मेरी सुमन कैसी हैं?
डॉक्टर:-आप सुमन की चिन्ता ना करें।उसकी सारी रिपोर्ट ठीक है।अब वह घर जा सकती।
सुमन,तुम ठीक हो।तुम्हारी जिंदगी में कोई तूफान नही आया है।चलो घर चलते हैं।
रवि,इससे पहले कुछ और कहता,सुमन ने उसे गले लगा लिया।वह अपनी जिंदगी में आए तूफान को हरा चुकी थी।उसके होठो पर बस यही शब्द थे,आई लव यू रवि।
राकेश कुमार तगाला
पानीपत(हरियाणा)
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राकेश कुमार तगाला

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