दिनकर जी को सादर नमन
एक प्रगतिवादी और मानववादी कवि के रूप में
उन्होंने ऐतिहासिक पात्रों
और घटनाओं को प्रखरतम शब्दों के सहारे बुना ।
उनकी महान रचनाओं में
‘रश्मिरथी’ और ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ शामिल है ।
‘उर्वशी’ को छोड़कर
दिनकर की अधिकतर रचनाएँ वीर रस से ओतप्रोत हैं ।
कवि भूषण के बाद उन्हें
वीर रस का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है।
ज्ञानपीठ से सम्मानित उनकी रचना उर्वशी की कहानी
मानवीय प्रेम, वासना और इतर सम्बन्धों के इर्द-गिर्द धूमती है।