मुक्तक
आज गर्मी ने किया बेहाल है।
कह कोरोना अब तेरा क्या हाल है।
घूम आया विश्व में कुंहराम कर-
देख भारत में रुकी वह चाल है।।
सिर झुका कर जा जहाँ से आया था।
रे कोरोना जा जहाँ तू जाया था।
आदमी को आश्रय देता भारत है-
चीन बौना है जगत भरमाया था।।
— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी