गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

नदियों में वो धार कहाँ से लाऊँ
राधा जैसा प्यार कहाँ से लाऊँ

कैसे कैसे मिलती मन की मंजिल
आँगन में परिवार कहाँ से लाऊँ।।

सबका घर है मंदिर कहते सारे
मंदिर में करतार कहाँ से लाऊँ।।

छूना है आकाश सभी को पल में
चेतक सी रफ्तार कहाँ से लाऊँ।।

सपने सुंदर आँखों में आ जाते
सचमुच का दीदार कहाँ से लाऊँ।।

संकेतों की भाषा दिल ही जाने
फूलों का संसार कहाँ से लाऊँ।।

गौतम अपने हाल में जीती है दुनियाँ
जीवन का उपहार कहाँ से लाऊँ।।

— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ