कवितापद्य साहित्य

पेड़-पौधे

क्यों काटते हो पेड़ पौधे, याद रखिए भूल है।
देते हमें फल गोंद औषध, और लकड़ी फूल है।।
ताजा हवा छाया सुखद भी, पेड़ पौधों से मिले।
मन मोहते हैं देखते जब, पुष्प उपवन में खिले।।

जग में हमारे पेड़ पौधे, एक सच्चे मीत हैं।
हालात अब उनके लिए क्यों, बन रहे विपरीत हैं।।
इस कार्य को इन मानवों की, मूर्खता ही हम कहे।
जब पेड़ पौधे बेतहाशा, नित्य काटे जा रहे।।

जलवृष्टि में भी पेड़-पौधे, हैं सहायक जान लो।
अब भूलकर इनको नहीं है, काटना यह ठान लो।।
पर्यावरण के अंग होते, ये बहुत ही खास हैं।
इनकी बदौलत हम सभी ही, आज लेते श्वास हैं।

~ श्लेष चन्द्राकर

श्लेष चन्द्राकर

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