महापुरुषों की लाखों सूक्तियों को डायरी में लिखनेवाली अर्चना कुमारी को ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में मिली जगह
महापुरुषों की सूक्तियों को डायरी में लिखनेवाली अर्चना कुमारी को ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ (LBR) में मिली जगह, जिनके उन्हें LBR की तरफ से प्रमाणपत्र प्राप्त हुई है। ध्यातव्य है, उनकी कई रिकॉर्ड्स की चर्चा अनेक रिकॉर्ड बुकों में हैं, यथा- असिस्ट बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया इत्यादि। वहीं 2018 के 27 मार्च को टाउन हॉल, कटिहार की शिक्षिका अर्चना कुमारी पॉल को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री प्रो0 रामप्रकाश महतो और कदवा विधायक डॉ. शकील अहमद की गरिमामयी उपस्थिति में ‘किलकारी सम्मान 2018’ प्रदान की गई । किलकारी प्री-स्कूल के प्रबंधक श्री लूटन कामती ने सम्मान-पत्र और मोमेंटो प्रदान करते हुए कहा कि सुश्री अर्चना दूसरे महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं । जिले के कुल 9 विशिष्ट कार्य करनेवाली महिलाओं को इस सम्मान हेतु चयनित की गई थी।
तीन फरवरी 1986 को जन्मी अर्चना बी एन एम यू से जंतुविज्ञान में बी.एस-सी ऑनर्स, इग्नू दिल्ली से इतिहास में स्नातकोत्तर सहित कंप्यूटर शिक्षा में भी पारंगत हैं । उन्हें बिहार सरकार की शिक्षा विभाग अंतर्गत वर्ष 2013 में सिर्फ़ 6 माह में 10 नियुक्ति – पत्र (Appointment Letters) प्राप्त हुई, जिसे एक अनूठा ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ मान इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया, marvellous रिकार्ड्स बुक, Assist वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, रियल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, इंडियन टैलेंट्स आर्गेनाइजेशन, बिहार बुक ऑफ रिकार्ड्स इत्यादि ने 2017-18 संस्करण हेतु जगह दी हैं।
अर्चना कुमारी पॉल संभवत: भारत के सबसे युवा महिला ग्राम कचहरी सचिव सहित बिहार की पहली महिला ग्राम कचहरी सचिव रही हैं । इन्होंने आई ए एस सहित सैकड़ों अकादमिक और प्रतियोगितात्मक परीक्षाएं दी हैं, जिनमें पुलिस परीक्षा भी उत्तीर्ण की हैं । सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अंतर्गत केंद्रीय सूचना आयोग (C.I.C.) में ‘द्वितीय अपील’ वाद (case) दायर करनेवाली भारत की पहली महिला हैं । इसतरह से पहली महिला RTI एक्टिविस्ट भी हैं । आल इंडिया रेडियो के एक कार्यक्रम ‘पब्लिक स्पीक’ के माध्यम से इनकी खोज ‘प्लास्टिक खानेवाले कीड़े ‘ पर विशद चर्चा चली, जिनके पेटेंट को लेकर आवेदन संबंधित विभाग में विचाराधीन है ।
सुश्री अर्चना ने इतिहास में भी रिसर्च की हैं, वे सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त ‘अबूझ चित्रलिपि’ को वे फख़्त सांकेतिक-सन्देश भर मानती हैं, न कि किसी पढ़नेयोग्य लिपि की अबूझ-पहेली ! तो अन्य मानवीय पहल लिए ‘रिकॉर्ड’ स्थापित को लेकर गर्दन की सहायता के बगैर घंटों अपनी सिर को 180 डिग्री के विन्यास नचा सकती हैं, तो हाथ की मध्यमा अँगुली के जोड़ की संधिस्थल लिए घंटों लगातार अँगुली चटका सकती हैं । उनकी इस उपलब्धि पर परिवारजन, शिक्षक बंधु और ग्रामवासियों ने बधाई और शुभकामनाएं दिए हैं।