कविता पुस्तक ‘तुम ही तुम’ का विमोचन के सालभर बाद
‘तुम ही तुम’ नाम्नी कविता-संग्रह व गीत-संग्रह प्रकाशित होने में 30 साल लग गए ! मैंने सुरेश सर (श्रीमान सुरेश चंद्र ‘सरस’) से ‘तुम ही तुम’ सीरीज की पहली कविता व गीत 1989 में उन्हीं के श्रीमुख से सुना था, जब मैं सर जी को अपनी कहानियाँ सुनाया करता था ! ‘तुम ही तुम’ की एक कविता को मैंने ‘भूचाल’ में 1992 में छापा था ! यह पुस्तक जून 2019 में लोकार्पित हुई।
2019 में सदानंद पॉल की भी 2 पुस्तकें आयी, एक शोध है– ‘पूर्वांचल की लोकगाथा : गोपीचंद’ और दूसरी है, नाट्य पटकथा ‘लव इन डार्विन’। दोनों ही ISBN लिए है । ‘तुम ही तुम’ के लिए आप ही आप को आनंदातिरेक शुभकामनाएं, सर जी ! आशा है, यह गीत-संग्रह और रचयिता सरस जी दोनों दीर्घजीवन पाएँ !