असम्बद्ध वस्तुस्थितियों के अध्ययन से ‘भूकम्प’ पर भविष्यवाणी संभव ?
मोबाइल फोन के 2 सिम्पल सेट में एक को हम sound वाइब्रेशन में रखकर उसे पृष्ठ भाग के सहारे सपाट प्लास्टर की हुई बरामदे पर रखते हैं, दूसरे मोबाइल फोन से वाइब्रेशन वाले मोबाइल सेट पर फोन लगाते हैं, तो यह एन्टी-क्लॉक गति से घूमने का प्रयास करती है, वहीं मोबाइल के स्क्रीन साइड को सपाट प्लास्टर की हुई जमीन पर रखकर दूसरे मोबाइल से उसपर फोन करते हैं, तो उस पर फोन आने पर यह क्लॉक की दिशा में घूमने का प्रयास करते है । इससे भी स्पष्ट है कि भूकम्प (जमीन पर रखे मोबाइल का हिलना) का कारण अन्य पिंड (हाथ में रखी हुई मोबाइल सेट) के आकर्षण भी हो सकते हैं । भूकम्प का आगमन मोबाइल पर असमय कॉल आने जैसा है ! यह विस्मित करनेवाली बात है कि भूकम्पीय झटके के समय एक मोबाइल सेट से दूसरे मोबाइल सेट पर कॉल नहीं जाते हैं, किन्तु SMS का आवागमन आसानी से हो जाती है । धरती गोला या गोल नहीं है, क्योंकि ऋतु परिवर्तन के कारण स्पष्ट है कि यह अंडाकार हो सकते हैं । सदानंद पॉल ने भी ‘भूकंप की भविष्यवाणी’ को लेकर शोध किया है, यह शोध राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला सभागार में सम्पादित अखिल भारतीय विज्ञान सम्मेलन 2004 में प्रस्तुत और जमा की गई थी । इनमें यह बताया गया कि एकबार एक ही समय में एक ही स्थान पर भूकम्प नहीं होती है, अपितु 360° कोणीय हिसाब से दो प्रतिलोम दिशाओं में भी होती है । अगर विविध कम्पनियों की सिम लिए 8-10 की संख्या में मोबाइल सेलफोन के द्वारा किसी अन्य नम्बरों पर कॉल किये जाने पर नेटवर्क नहीं आ पा रहा हो, तो पृथ्वी के अंदर की हलचल का कारण हो सकते हैं ! जो महज पृथ्वी के अंदर की हलचल के कारण ही नहीं, अपितु बाहरी पिंडों के गुरुत्वाकर्षण कारणों से भी होती है। दुनिया के विभिन्न जगहों से सूचनाएँ इकट्ठे कर सदानंद पॉल ने यह भी पता लगाया कि 13 जनवरी की 12 बजे रात्रि को दुनिया के किसी भी भाग भूकम्प आने की सूचना नहीं है। इनसे भी अत्यधिक जानकारी पाने के लिए सदानंद पॉल के रिसर्च पेपर का अध्ययन जरूरी है! ध्यातव्य है, भारत के उत्तरी क्षेत्रों व दिशाओं में भूकम्प के बार-बार झटके कहीं टिड्डियों के समूह में उत्पात मचाने के बीच ‘कनेक्शन’ तो नहीं, एतदर्थ जब आगामी भूकम्प पर भविष्यवाणी मालूम नहीं हो, तो असम्बद्ध बिम्बों पर भी अध्ययन और अन्वेषण करना चाहिए?