शिशुगीत

क्रोध

क्रोध हमारा प्रबल शत्रु है,
क्रोध से हरदम बचकर रहना,
गुस्से में जाने क्या हो जाए,
गुस्से की क्या वजह समझना.
गुस्सा जो आए ममी को,
प्यारी-सी पप्पी दे देना,
गुस्सा जो आए दादी को,
ठंडा पानी लाकर देना,
गुस्सा जो आए पापा को,
किसी कोने में झट छिप जाना,
गुस्सा जब ठंडा हो जाए,
प्यार से उनका वंदन करना

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244