योग जरूरी, धनतेरस नहीं !
महर्षि धन्वंतरि के जन्म-जयंती पर सोने-चाँदी वाले द्रव्य की खरीदारी गलत है, क्योंकि ‘स्वास्थ्य ही धन है’ पंचलाइन के परम उपासक महर्षि धन्वंतरि ने जड़ी-बूटी से इलाज करने की पद्धति को बढ़ावा दिया । कहा जाता है, वे देवताओं के वैद्यराज व कविराज थे! आज लोग स्वास्थ्य नामक धन को छोड़कर सोना, चाँदी आदि धन के पीछे भागकर अपनी सुख-समृद्धि को उसी में ढूढ़ रहे हैं, जो महर्षि धन्वंतरि के संदेशों के विरुद्ध हैं। इतना ही नहीं, ‘धन्वंतरि’ नाम का अपभ्रंश कर ‘धनतेरस’ नाम रख आभूषणों, द्रव्यों को खरीदने में आज की स्थिति में लोग दिन-रात मशगूल हैं, रहेंगे ! जबकि इस दिन तो महर्षि धन्वंतरि को याद कर अपने स्वास्थ्य के प्रति शत-प्रतिशत योगदान देने चाहिए । आस्था के नाम पर ‘धनतेरस’ नामक बिजनेस से आपका स्वास्थ्य तो जाएगा ही! अगर खरीदारी करनी ही है तो ‘स्वास्थ्य’ नामक धन को खरीदिये। लक्ष्मी तब ही प्रसन्न होगी, जब आप निरोग रहेंगे ! महर्षि धन्वंतरि ‘आयुर्वेद’ के जनक थे।