कथनी और करनी
कथनी और करनी
मधु को अपना टीचर बनने का सपना धूमिल होता नजर आ रहा था।वह सारा दिन सपने देखती रहती थीं।वह एक बड़े स्कूल में पढ़ा रही है।उसके चारों ओर विद्यर्थियों का जमावड़ा लगा हुआ है।वह बड़े चाव से उनके अन-सुलझे सवालों के जवाब दे रही है।वह रात में भी यहीं बड़बड़ाती रहती।उसका सारा ध्यान खुद को सजाने-सवारने में लगा रहता।
उसकी सहेली कमला उसके बिल्कुल विपरीत थी।वह भी टीचर बनना चाहती थी।वह रात-दिन पढ़ाई में लगी रहती।वह मधु से बिल्कुल अलग थी।वह अपने सपने के पीछे दौड़ रही थीं।उसे किसी बात की सुध नहीं थी।ना खान-पान की, ना सजने-सवरने की।दोनों अपने-अपने तरीकों से प्रयास कर रही थी।
परीक्षा के परिणाम ने मधु को हिला कर रख दिया था।वह पूरी तरह असफल हो गई थी।जबकि कमला ने पूरे राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।मधु ने निराश मन से कमला को उसकी सफलता पर बधाई दी।कमला ने उसे गले लगा लिया।तुम चिन्ता मत करो, फिर से प्रयास करों।पता नहीं मेरे प्रयास में कहाँ कमी रह गई?कमला, तुम ही बताओं।
कमला: मधु-एक मात्र अमोध नियम यह है कि जो व्यक्ति सदैव लक्ष्य प्राप्त करने की बात करता है वह कभी भी लक्ष्य नही साध पाता।
मधु अच्छी तरह समझ चुकी थी कि उसकी कथनी और करनी में कितना अन्तर था?
राकेश कुमार तगाला
पानीपत(हरियाणा)
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