कविता

प्रकृति

आज चलो उपवन पधारे
है अकिंचन गीत गाएं
हरा भरा हरियाली छाई
प्रकृति ने जो छवि दिखाई।

हर तरफ है शान सोहरत
मोर भी देख नृत्य करता
यह छवि मन मोह लेता
सारा जग सुन्दर सा लगता।

इस समय वन बाग उपवन
खिल उठे सब झूम उठे हैं
रिमझिम बारिश बरस रही है
आज मौसम है सुहाना।
विजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।