कविता

हाँ, मैने देखा है!!!

हाँ मैने देखा है!!!
बलात्कार के बाद
कैंडिल मार्च निकालते हुए
रैलियां करते हुए
लोगों को
सड़कों पर उतरते हुए
विरोध करके
फोटो खिचवाते हुए
दोषियों को
सजा-ए-मौत मांगते हुए
अच्छा लगता है
पर……
मैने ये भी देखा है
एक्सीडेंट के बाद
लोगों का बगल से
निकल जाते हुए
छेड़छाड़ होते देख
मुँह फेरते हुए
दूर बैठकर
उपदेश देते हुए
रोकना तो दूर
बोलना भी उचिन
न समझते हुए
बदलाव सभी को चाहिए
पर बदले कौन
पुलिस है ना!
सरकार है ना!
मैने नेता चुना
वो है ना!
मैने वोट डालकर
कर दिया देश पर एहसान
अब ए सरकार की
जिम्मेदारी……
बदलो सोच
खुद को बदलो
तभी
देश बदलेगा
समाज बदलेगा
हम दे पाऐंगे
सुरक्षित समाज
हमारी आगे की पीढी को………मानस

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) [email protected] जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,