पिता
अहसासों का सार पिता हैं,
विश्वासों से प्यार पिता हैं ।
परम पिता की संतानों को,
सचमुच में उपहार पिता हैं ।
गहन तिमिर को परे हटाकर,
फैलाते उजियार पिता हैं ।
सूरज,चंदा,धरती,तारे,
पूरा इक संसार पिता हैं ।
दुख,पीड़ा,ग़म,व्यथा,वेदना,
में हरदम हथियार पिता हैं ।
जब भी कोई विपदा आई,
तब-तब तो हथियार पिता हैं।
मेरे मन की पीड़ाओं का,
सतत्,सघन संहार पिता हैं ।
अच्छाई औ’ सच्चाई का,
सचमुच में अभिसार पिता हैं ।
बिन उनके असहाय सदा हम,
हम सबके हथियार पिता हैं ।
जीवन में रौनक के मेले,
खुशियों की झंकार पिता हैं ।
हर पल उनके बिन है सूना,
मधुवन का आसार पिता हैं ।
साथ सभी लगते बेमानी,
बस जय जय जयकार पिता हैं ।
‘शरद’ यही माने है हरदम,
ईश्वर का आकार पिता हैं ।
— प्रो. शरद नारायण खरे