भ्रष्टाचार
वास्तव में अब क्यों हम विकास एवं सामाजिक उत्थान में संसार में बहुत कुछ पिछड़ गए गए लगते हैं ।आज भ्रष्टाचार युक्त देशों में हमारे देश की गिनती होने लगी है ।जीवन मूल्यों की विखंडन की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है ।परिवारवाद टूटने लगा है । सामाजिक उत्थान पहले जैसा गतिशील अब नहीं रह गया है ।स्वार्थ भावना दहेज लुलुपता ,लाशों के ढेर पर चढ़कर भी अधिक दौलत कमाने की होड़ चारों ओर समाज में दिखाई देने लगी है ।ऐसी परिस्थितियों में यदि हमारे राजनेता विकास की दुहाई देते भी रहे तो क्या मूल्य रह जाता है ?
यह विकास का उस विकास का उस उन्नति का जिसमें परम पर परोपकार और भलाई की भावनाएं ही समाज में जागृत नहीं रही हो ।
“भ्रष्टाचार” आज के समाज की सर्वाधिक व्यापक समस्या है ।आज हमारा समाज तथा देश इस समस्या से लाख कोशिश करने पर भी नहीं भर पा रहे हैं ।कारण आज हमारा पूरा तंत्र ही इस समस्या से ग्रस्त है ।नैतिकता का पतन प्रशासन तंत्र की कार्यप्रणाली राजनीतिक जागरूकता में कमी तथा कमरतोड़ महंगाई इस समस्या के प्रमुख कारण है ।
दूसरे नंबर पर है “गरीबी की समस्या” जब भारत स्वतंत्र हुआ तो देशवासियों ने पूरे देश की तरक्की के लिए सुनहरे सपने देखे थे ।आज आजादी के बरसों बाद भी हमारे इस सपने पूरे नहीं हो पाए हैं ।आज समाज मूलतः 3 वर्ग उच्च ,मध्यम तथा निम्न वर्ग में बटा हुआ है ।
एक ओर तो देश में वह लोग हैं जिनके पास आता धन है लेकिन दूसरी और वह लोग भी हैं जिनके दो वक्त भरपेट भोजन नहीं मिलता ।कहने का तात्पर्य है समाज में शोषण की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है ।आज की आर्थिक नीतियों के फलस्वरूप अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब होता जा रहा है।
तीसरे नंबर पर है “बेरोजगारी की समस्या” वर्तमान देश में वर्तमान समय में देश की सर्व प्रमुख समस्याओं में से एक है बेरोजगारी ।हमारी सरकार देश की स्वतंत्रता से आज तक निरंतर इस समस्याओं को उन्मूलन के लिए प्रयासरत रही है लेकिन लगता
है यह समस्या कम होने के स्थान पर दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है ।इस समस्या का सबसे बड़ा कारण हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या ही है ।जिस गति से हमारे देश की जनसंख्या में वृद्धि हुई उसी गति से देश में बेरोजगारी की संख्या भी बढ़ती गई हमारे देश में हर क्षेत्र में चाहे प्रगति हो रही है लेकिन उसका प्रभाव देश की घटती जनसंख्या के कारण शून्य हो जाता है ।
देश में जब जनसंख्या के अनुपात से रोजगार कम होते हैं तो बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है हमारे देश में आर्थिक प्रगति के लिए उद्योगों का विकास तो हुआ लेकिन उसका दुष्प्रभाव लघु तथा कुटीर उद्योगों पर हमारे देश की अधिकतर नियम वर्ग की जनसंख्या तो ऐसे उद्योगों से अपना जीवन यापन करती रही ।
चौथी समस्या “आतंकवाद की समस्या” यह एक सामाजिक समस्या है आतंकवाद के विषय में हम भलीभांति जानते हैं कि हिंसक साधनों का प्रयोग कर जनता में दहशत फैलाना तथा बंदूक के दम पर सरकार से अपनी मांग मनवाने यह समस्या आज समाज व्यापी या राष्ट्र व्यापी समस्या ना हो कर अंतरराष्ट्रीय समस्या का रूप ले चुकी है ।
इसका समुचित किसी भी राष्ट्र के पास नहीं है विश्व की बड़ी से बड़ी शक्तियों भी शक्तियां भी इस समस्या से निपटने में असफल रही है ।
पांचवी समस्या है “स्मगलिंग की समस्या” यह हमारे समाज तथा देश की अन्य प्रमुख समस्या है स्मगलिंग से जुड़े लोगों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाल फैला होता है ।वह लोग जो हर तरह से अनैतिक कार्य करना जानते हैं ।इस धंधे से लोगों को अपने धंधे में शामिल करने के लिए हर प्रकार से काबिल युवकों की तलाश रहती है ।
इसलिए कोई भी शरीफ तथा योग्य व्यक्ति भी इनके हाथों में पकड़ कर अपना जीवन बर्बाद कर सकता है ।
— मनोज शाह “मानस’