वकीलों की फीस
जनसाधारण से लेकर वीआइपी तक एसडीओ कोर्ट से लेकर सर्वोच्च न्यायालय में न्याय की आस में पहुंचते हैं, जहां रसूखदार लोग तो मोटी फीस देकर अपने मुकदमे की पैरवी के लिए अच्छे वकील रख लेते हैं.
परंतु कानूनी जानकारी नहीं होने के कारण साधारण लोग शीघ्र न्याय पाने की लालसा में ऐसे वकील के फीस तभी भर पाते हैं, जब जमीन, घर या औरत के गहने गिरवी रखते हैं या बेचते हैं. इसके बाद भी केस जीतने की कोई गारंटी नहीं रहती.
हालांकि गरीब मुवक्किलों के लिए संविधान ने नि:शुल्क वकील की व्यवस्था की है, किंतु ऐसे पैरवीकार अधिवक्ता की कानूनी जानकारी अल्प ही होती है. मैंने कई कोर्ट के वकीलों के फीस निर्धारण को लेकर ‘बार कौंसिल ऑफ इंडिया’ को पत्र लिखा, किंतु जवाब अब तक पेंडिंग है. सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.