कविता

शहादत व्यर्थ ना जाए

 

हिंदी चीनी भाई-भाई का
नारा जाने क्या हुआ
हम जिसे दोस्त समझे थे
वह दुश्मनी का पर्याय हुआ……

शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की
नींव तुमने हिला डाली
गलवान घाटी में आज तो
नदी खून की बहा डाली…..

शूरवीर जो तुमने मारे
थे किसी की आंख के तारे
जान से प्यारे थे वो भाई
देश की खातिर जान गवाईं…….

ए ! अधर्मी, दुष्ट पड़ोसी
विस्तारवादी नीति तुम्हारी
तुम सीमा में घुस आते हो
मेरे घर को अपना बताते हो…..

हम शांति चाहते हैं लेकिन
तुम सदा विवाद बढ़ाते हो
जो मसले हल हो सकते हैं
तुम सदा उन्हें उलझाते हो……

तुम बात सामने करते हो
पर पीठ में खंजर चलाते हो
तुम पहला वार करोगे गर
तो हम चुपचाप रहे कैसे……

माना कुछ उलझे मसले हैं
पर बातचीत का जरिया हो
तुम सीमा में घुसते आते हो
लाठी, पत्थर,हथियार चलाते हो….

पहले कोरोना ने तबाही लायी
सारी दुनिया में रार मचायी
अब तो यकीन हो चला है मुझे
ये तुम्हारी ही एक साजिश थी……

राजनीति छोड़ दो देशवासियों !

एकजुट हो जाने का समय है यह
दिखा दो भारत की शक्ति
कि हम एक हैं
सिर्फ कहने से कुछ नहीं होता…….

अब बदलो नीति मेरे आका
वह डाल रहा घर पर डाका
खुलकर उसका प्रतिकार करो
अब तुम भी प्रत्यक्ष वार करो।।

 

अमृता पान्डे

मैं हल्द्वानी, नैनीताल ,उत्तराखंड की निवासी हूं। 20 वर्षों तक शिक्षण कार्य करने के उपरांत अब लेखन कार्य कर रही हूं।