हरि इच्छा
जिन जाना
हरि इच्छा
मम इच्छा
तरा वो
जै संसारा
मिटी जब
मम इच्छा
हरि इच्छा में
हो गई वो
फिर हरि इच्छा
हरि इच्छा में ही
छिपा हुआ है
कल्याण हमारा
जिसने माना ऐसा
सुख दुःख से
वो हुआ परे
समझा उसने
गीता का संदेश
*ब्रजेश*
जिन जाना
हरि इच्छा
मम इच्छा
तरा वो
जै संसारा
मिटी जब
मम इच्छा
हरि इच्छा में
हो गई वो
फिर हरि इच्छा
हरि इच्छा में ही
छिपा हुआ है
कल्याण हमारा
जिसने माना ऐसा
सुख दुःख से
वो हुआ परे
समझा उसने
गीता का संदेश
*ब्रजेश*