अवार्डों लिए विचारणीय तथ्य !
‘भारत रत्न’ हो या ‘पद्म सम्मान’ भारत के महामहिम राष्ट्रपति के नाम से जारी होता है, किन्तु माननीय गृह मंत्रालय को एतदर्थ आवेदन प्राप्त कराया जाता है, किन्तु ‘पद्म सम्मान चयन समिति’ में श्रीमान् गृह सचिव सहित महामहिम राष्ट्रपति सचिवालय के श्रीमान् प्रधान सचिव, श्रीमान् कैबिनेट सचिव, माननीय प्रधानमंत्री कार्यालय के श्रीमान् प्रधान सचिव सहित 3 या 4 की संख्या में अन्य गणमान्य व्यक्ति यथा- संस्कृतिकर्मी, रंगकर्मी, शिक्षाविद्, उद्योगपति इत्यादि को भी शामिल किया जाता है ।
हालांकि 2015 के ‘पद्म सम्मान’ से माननीय प्रधानमन्त्री कार्यालय के श्रीमान् प्रधान सचिव महोदय इस चयन-समिति से मुक्त नज़र आये, परंतु अन्य 3 श्रीमान् प्रधान सचिव रहे ही ! चयन-समिति के अन्य गणमान्य व्यक्ति रूपी सदस्यों में भी पलड़ा सरकार के पक्ष का भारी रहा है, तथापि क्या मात्र 7 या 8 व्यक्ति-विशेष मिलकर 130 दिनों में (यदि अवकाश जोड़ा जाय, तो 100 से भी कम दिन हो जाएंगे) हज़ारों प्रतिभाशाली भारतीयों का मूल्यांकन कर सकते हैं ! इसबार से पहले एतदर्थ नामांकितों की संख्या 1,999 तक कभी नहीं हुई । इसबार तो नयी रचनात्मक सरकार की प्रतिबद्धता ने तो कई कदम आगे बढ़कर पहली मर्तबा सबके लिए नामांकन का मार्ग खोल दिया और यह 15 सितम्बर 2016 के मध्यरात्रि तक का समय देकर online आवेदन लिए जाने का मार्ग प्रशस्त किये ।
अंतिम तिथि तक माननीय गृह मंत्रालय को लगभग 5,172 नामांकनार्थ आवेदन प्राप्त हुए । पहले तो 1,999 तक आवेदन प्राप्त नहीं होते थे, इसबार सचमुच में अप्रत्याशित है । अब क्या 7-8 सदस्यों वाली चयन-समिति 130 दिनों में 5,172 ‘पद्म सम्मानार्थियों’ की उपलब्धियों के मूल्यांकन में पारखी नज़र डालकर बिलकुल ही खरे उतर पाएंगे ! उसे हर दृष्टि से उतरने चाहिए, तभी ‘सत्यमेव जयते’ वाक्य आदर्श ठहरेंगे।