पहला कवि सम्मेलन
इस वर्ष कवि सम्मेलन का शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है.पहला कवि सम्मेलन कानपुर में हुआ था.गूगल जानकारी के अनुसार 1920 में.
कानपुर का निवासी और हिंदी का एक छोटा सा सेवक होने के नाते इस विषय पर काफी समय से कुछ लिखने की सोच रहा था.पर चूँकि यह ऐतिहासिक विषय है,अत: इस संबंध में कुछ प्रमाण जुटाना भी ज़रूरी था.प्रमाण जुटाये तो पता चला कि पहला कवि सम्मेलन 1920 नहीं,1923 में हुआ था.यह कवि सम्मेलन हिंदी साहित्य सम्मेलन के तेरहवें अधिवेशन (27 मई से 29 मई 1923) में कानपुर में सुकवि पं.गया प्रसाद शुक्ल ‘सनेही’ जी की अगुवाई में आयोजित हुआ था,वही इसके स्वागताध्यक्ष थे.इस कवि सम्मेलन में श्रीधर पाठक जी,राम नरेश त्रिपाठी जी,अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी और भगवती चरण वर्मा जी जैसे तत्कालीन वरिष्ठ कवियों ने काव्य पाठ किया था.इसमें राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन जी भी उपस्थित थे जिन्हें उस समय हिंदी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया था.
पहले कवि सम्मेलन के 1923 में होने की पुष्टि सनेही जी के जीवनकाल में 1964 में कानपुर से प्रकाशित “आचार्य सनेही अभिनंदन ग्रंथ” से भी होती है जिसका प्रकाशन कानपुर नगर महापालिका की ओर से अवधबिहारी मिश्र जी,सचिव-नगर महापालिका,कानपुर द्वारा किया गया था.इस ग्रंथ का संपादन वरिष्ठ साहित्यकार छैलबिहारी दीक्षित “कंटक’ जी और शंभूरतन त्रिपाठी जी ने किया था.अभिनंदन ग्रंथ के पृष्ठ-49 पर पहले कवि सम्मेलन के बारे में स्पष्ट लिखा है कि पहले जनता के बीच मुशायरे तो होते थे किंतु कवि सम्मेलनों का प्रचार-प्रसार राजदरबारों तक ही सीमित था.1923 में कानपुर में हुये हिंदी साहित्य सम्मेलन के अंतर्गत पहला अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सनेही जी के संयोजकत्व में लाठी मोहाल स्थित लक्ष्मणदास धर्मशाला में आयोजित हुआ था जिसकी अध्यक्षता-रत्नाकर जी ने की थी.इसमें देश के अनेक गणमान्य कवियों ने भाग लिया था.इस कवि सम्मेलन की सफलता से प्रेरित होकर देश के कोने-कोने में कवि सम्मेलन आयोजित होने लगे जिनमें से अनेक कार्यक्रमों के सभापतित्व के लिए सनेही जी को ही बुलाया गया.
ऐसा लगता है कि पहले कवि सम्मेलन का वर्ष गूगल में 1920 ग़लत उल्लिखित है,इसे 1923 होना चाहिए.संबंधित तथ्यों से पहले कवि सम्मेलन का वर्ष-1923 प्रमाणित भी होता है,अत: इसे सही कराये जाने की आवश्यकता है.क्योंकि गूगल से भी ग़लती हो सकती है.जैसे-पं.सोहनलाल द्विवेदी जी की कविता ‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ के साथ हुआ था.पहले यह कविता गूगल में हरिवंशराय बच्चन जी के नाम से दर्ज़ थी.यहाँ तक कि महानायक अमिताभ बच्चन जी भी इसे कई कार्यक्रमों में अपने पिताजी के नाम से प्रस्तुत कर चुके थे.बाद में द्विवेदी जी के परिवार वालों के प्रयास से गूगल ने भी इसे सही किया और महानायक ने भी अपने फेसबुक और ट्विटर पर ग़लती स्वीकारी.
— डाॅ. कमलेश द्विवेदी