कुण्डली/छंद

मनहरण घनाक्षरी छंद

रोज़ – रोज़ करो योग , भागें दूर सभी रोग ,
तन मन रहे खुश , ताज़गी ले आइये ।

योग मतलब जोड़ , लस तुम दो छोड़ ,
लगाओ तुम रोज़ दौड़ , योग अपनाइये ।

अनुलोम विलोम भी , रोज़ जपो तुम ओम ,
योग बनता है सोम , पीते बस जाइये ।

करता विकार दूर , तन चाहे होगा चूर ,
बनो मत तुम क्रूर , थकन मिटाइये ।

— रवि रश्मि ‘अनुभूति ‘