कई समस्याएँ अब भी यथावत !
–कुछ साल पहले ही यह हिम्मत आई कि ट्रेन पर दौड़ लगाकर चाय बेचनेवाला एक बैकवर्ड प्रधानमंत्री भी बन सकता है, मैंने भी जोड़ लगाया, किन्तु एक बड़े ‘परीक्षा आयोग’ ने धोखा दिया, तो सोचा कमल के साथ-साथ उनके पर्याय ‘पद्म’ भी तो हो जाऊं, किन्तु वहां भी चीटिंग हुआ । निम्न वर्गीय बैकवर्ड ही रह गया, अपने बैकवर्डी रिश्ते ने ही इस कदर क्रश किया कि ढंग के नीड़ का निर्माण नहीं कर सका आजतक !
–प्रेरणा से अंदर तक हिल जाता हूँ कि इस 46वें वर्ष में प्रवेश कर भी शादी की इच्छा ही नहीं बन रही है, वैसे ‘रत्नावली’ के तिरस्कार से ‘मानस’ लिखने का मन में विचार आया, लिखा भी, एक बड़े पदाधिकारी-मित्र को दिया भी, किन्तु 2 वर्ष हो गए, पुस्तक अबतक छप नहीं सकी है ।
–दो जोड़े पेंट-शर्ट को भारतरत्न श्रीमान वाजपेयी जी के हार से ही चला रहा हूँ, आज ही पिता जी ने एक जोड़ा पेंट-शर्ट दिए हैं, जो कि उनके श्रमसाध्य टेलरिंग का करिश्मा लिए है।
–अब भी मुझे जो भोजन प्राप्त होता है, उनके प्रति संतुष्ट नहीं हो पाता हूँ, क्योंकि अपने देह को स्थापना काल से ही मैंने 2400 कैलोरी ऊर्जा नहीं प्राप्त करा सका हूँ ।
–गरीब व्यक्ति के लिए प्रत्येक दिन ‘योग’ व्रत लिए होता है, किन्तु उनकी दिनचर्या ‘मन की बात’ को लेकर औत्सुक्य तो है, किन्तु उनके ‘मन’ में ‘ओलंपियन’ और ‘आईएएस’ बनने का ख्वाब तक नहीं आ पाता है । बिहारी BPL ऐसा सोच भी नहीं सकता है । जब पहला कॉमनवेल्थ गोल्ड मेडलिस्ट बिहारी की बात आई, तो उस रूप में, जो एक राजा और पूर्व केंद्रीय मंत्री की बेटी है !