चक्रव्यूह…
मौका मिल जाए अभी भी साधु बन जाऊंगा ।
प्रेमिकाओं की धोखा भजन समझ कर गाऊंगा ।।
मौका मिल जाए अभी भी…
प्रेमिकाओं की धोखा भजन समझ कर गाऊंगा ।।
प्रेमिकाओं की धोखा…
मौका मिल जाए अभी भी साधु बन जाऊंगा ।।
हरे राम… हे राम… हरे राम… !
बेबफाओं के रास्ते सारे बदनाम !!
कौन सी चक्रव्यूह में हूँ, कैसा घांव मिल रहा है।
वक्त की वजूद तले किसका छांव मिल रहा है ।।
मौका मिल जाए अभी भी साधु बन जाऊंगा ।
प्रेमिकाओं की धोखा भजन समझ कर गाऊंगा ।।
बेबफा की बेबफाई में भी चल दियें विश्वासकी ओर ।
मिलते मिलते ही टुटता चला गया बन्धन की डोर ।।
हरे राम… हे राम… हरे राम…!
बेबफाओं के रास्ते सारे बदनाम !!
बेबफा की पोल खुली मोहब्बत का क्या रहा मोल।
बर्बादी के पथ पर चल चुका जीवन अनमोल ।।
जीवन भर पछतावा उन्हीं का पाता रहूंगा ।
मौका मिल जाए अभी भी साधु बन जाऊंगा।
प्रेमिकाओं की धोखा भजन समझ कर गाऊंगा।।
मौका मिल जाए अभी भी…
— मनोज शाह ‘मानस’