संस्कृति के साथ पाँच उदाहरण
1. ‘खुले में शौच से मुक्त’ (ODF) अभियान से सूअर हैं खफ़ा ! सदियों से ‘गू’ को चाव से खाने वाले सूअर इन दिनों खफ़ा हैं । मेरे गांव में लगभग 300 सूअर हैं, जो ‘गू’ (मानव मल) के अलावा अन्य किसी प्रकार के भोजन नहीं करते हैं । सरकार पर पशुओं का आहार छिनने का आरोप ! यह दीगर बात है, कुछ सूअर टाइप लोगन भी ODF से परेशान हैं
2. ‘स्वच्छता’ अभियान में तन की स्वच्छता, घर की स्वच्छता और बाहर की स्वच्छता पर तो ध्यान दिया गया, परंतु ‘दिल’ की स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया गया । दिल को किस झाड़ू से साफ करूँ, अबतक बताया नहीं गया ? ….क्योंकि अपुन के दिल को समझा लेता हूँ, किन्तु प्रेमिका के दिल को कैसे समझाऊं, जो मई 1996 से नहीं समझ रही है !
3. बेनामी संपत्ति वाले अब भी वैसे ही मुखर हैं, जैसे- आजादी मिलते ही सबसे ज्यादा जमींदार वर्ग आक्रामक हो गए थे! मैं सहित मेरे चार पुख्त (जहां तक मैं जानता हूँ) अबतक ‘पलंग’ पर नहीं सोया है और लोग इससे परेशान हैं।
4. बिजली की स्थिति क्या सुधरी पता नहीं? हाँ, नए पोल गड़े हैं, जिनपर अत्याधुनिक तार लटके हैं । मई के इस अंतिम सप्ताह देखिए– प्रत्येक दिन बिजली 11 बजे दिन में भागती है और रात 2 बजे आती है । शाम में 2-3 घंटे के लिए वैसी ही रहती है, जैसे- ‘लालटेन’ भी शरमा जाय ! वैसे बिजली रहकर भी क्या, मेरे पास न तो एयर कूलर है, न फ्रीज़, न रेफ्रीजरेटर, न ही इन्वर्टर तक।
5. पानी की शुद्धता चापाकल से तय नहीं होती, ₹30 प्रति गैलन खरीद कर तय की जाती है । इसलिए भी खरीदना जरूरी हो गया है, क्या पता ‘आर्सेनिक’ युक्त पानी से सुबह-सुबह गाँड़ ‘लाल’ न हो जाय !