कृत्रिम उपग्रहों की उड़ान में भारत सबसे आगे
तारीख 15 फ़रवरी 2017 दिन बुधवार समय सुबह की 9 बजकर 28 मिनट PSLV C-37 ने उडान भरी और मात्र 28 मिनट यानि 9 बजकर 56 मिनट पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन ( ISRO) ने एक ही रॉकेट से रिकॉर्ड-तोड़ 104 उपग्रहों का सफल और किफायती प्रक्षेपण कर वह मुकाम हासिल कर ली जो अमेरिका , रूस , चीन जैसे विकसित देशों के लिए अभी तक सपना है साथ ही ‘अमेरिका’ के कहे उस मजाक भरी टिप्पणी का बेहतर जवाब भी दिया जिसमें एक दौर में अमेरिका ने हमारे रॉकेट रोहाणी-75 के प्रक्षेपण को खिलौना करार देकर मजाक उड़ाया था और कहा था भारत कभी रॉकेट नहीं बना सकता है।
इतना ही नहीं कुछ साल पहले ही अमेरिका सीनेट में बाकायदा यह कहा कि अमेरिका भारतीय जमीन से अपने किसी भी उपग्रह का प्रक्षेपण नहीं करेगा , लेकिन समय कब करवट ले लें –किसी को नहीं मालूम ! 104 उपग्रहों की सूची में 96 उपग्रह अमेरिका के है तथा 3 भारतीय उपग्रह के अलावा शेष 5 उपग्रह इजरायल , कजाखिस्तान , नीदरलैंड , स्वीट्ज़रलैंड और UAE के हैं । अन्य देश ISRO की ताजा कामयाबी से इतने अचंभित है कि दुनिया के अन्य देश ISRO से अपने उपग्रह प्रक्षेपित कराने के लिए लालायित है।
ज्ञातव्य हो कि 21 नवंबर 1963 को जब पहला रॉकेट लांच किया जाना था उस समय ‘थुम्बा’ में सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था भी नहीं थी , ऐसे में फर्स्ट रॉकेट जिनका नाम ‘नाइकी अपाचे’ के पार्ट को लॉन्चिंग जगह तक लाने के ली ‘साइकिल और बैलगाड़ी’ का प्रयोग किया गया — जिस क्रेन से रॉकेट को लांचर में डाला जा रहा था उसमें गड़बड़ी होने पर रॉकेट को हाथ से ही सेट किया गया और इस तरह पहले रॉकेट का सफल परीक्षण हुआ । एक ऐसे हालात से ISRO का मंगलयान से लेकर मल्टी बर्न टेक्नोलॉजी से आगे तक का सफर काबिल-ए-तारीफ है ! पूरे देश को इसपर नाज है ।