हास्य व्यंग्य

आत्मनिर्भरता की गाथा

आज आत्मनिर्भर शब्द सुनकर ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो धरती पर स्वर्ग का रचना होने वाला है। भारतीय नेताओं के मुंह आत्मनिर्भर सुनकर आज मन बहुत प्रसन्न हो रहा है, राजनीति आत्मनिर्भरता शब्द में आत्मा का नामोनिशान नहीं है।
निर्भरता तो पूर्वजों की एक अमानत और संस्कृति है। हमारे समाज के लोग हमेशा नजर उठाए दूसरों पर निर्भर बने रहते हैं।
तभी हम आजादी के 70 साल बाद भी पश्चिमी देशों या फिर चीन की तरफ नजर लगाए बैठे हैं।
खैर मैं अर्थव्यवस्था से कोई तालुकात नहीं रखता हूं, क्योंकि मैं अर्थशास्त्री नहीं हूं, ना ही देश का होनहार पत्रकार हूं,मौके पर हर विषय का स्पेशलिस्ट बनकर बड़े-बड़े लेख अखबारों में प्रकाशित करवाएं या फिर समाचार स्टूडियो में बैठकर कबोधन करें।
मेरे परम मित्र राजनीतिशास्त्री ने एक सेमिनार में कहा कि”अब  बड़े राष्ट्रीय चैनल पर टीआरपी के लिए लुच्चापन चालू हो गया है।
बड़े समाचार पत्रकारों को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है बस यूं ही कह दो कि चौथे लोकतंत्र की एक भरपाई हो रही है।
मीडिया वाले आत्मनिर्भर हो चुके है, अब घर में सीरियल कम इनके कार्यक्रम को ज्यादा देखा जाता है। क्योंकि अब सीरियल और कॉमेडी शो से ज्यादा इनके यहां हुल्लड़ होता है। धड़ाधड़-धड़ाधड़ टीआरपी बढ़ती जा रही है, कई ऐसे पत्रकार उपज गये हैं जिनको देश का बच्चा-बच्चा भी अच्छी तरह से जानता है।
बात राजनेताओं की करेंगे इंटरनेट का जमाना है यूट्यूब से कोई अच्छी भाषण वाली वीडियो निकालिये जो चुनाव के वक्त नेता जी द्वारा दिया गया है। भाषण सुनकर आपको उनके हर एक-एक शब्द की आरती उतारने का दिल करेगा। सत्ता में आने के बाद सदन में उनका भाषण एक बार सुनिये तो,,, फिर क्या सुनकर 5 साल गुजारे अब तो नेताजी आत्मनिर्भर हो चुके हैं।
बिहार का चुनाव लगभग 15 साल से देख रहा हूं, और इस साल भी देखने वाला हूं, नेता लोग चुनाव के वक्त पहले आप पर निर्भर होंगे फिर चुनाव बीतने के बाद आत्मनिर्भर हो जाएंगे।
 कुछ ऐसी ही दशा उत्तर प्रदेश में भी हो रही है लॉकडाउन के दौरान अपराधियों का कुछ ऐसा दौर आरंभ हो गया है कि आने वाले वक्त में बड़े-बड़े वेब सीरीज की कहानियां आसानी से मिल सकती हैं।
हमारे देश के नेता लोग भी आत्मनिर्भर हो चुके हैं, अब जनता को आत्मनिर्भरता की तरफ  प्रस्थान करना चाहिए।
जिले के आत्मनिर्भर विधायक जी हमेशा सोशल मीडिया पर छाये रहते हैं, कहा जाता है कि जब लखनऊ से अपने क्षेत्र की तरफ निकलते  तो रास्ते पर हाईवे के किनारे एक फूल की दुकान से अपने पैसे से कुछ माला खरीद कर गाड़ी के बोनट पर लगा देते हैं ताकि क्षेत्र में जाने के बाद ऐसा लगे कि उनका लखनऊ में भव्य स्वागत हुआ था।
मुझे पता है कि विधायक जी ऐसा क्यों करते हैं विधायक जी अपने आत्मा को खुश करने के लिए ऐसा करते होंगे या फिर क्षेत्र में भौकाल बनाने के लिए बेरोजगारों युवाओं के लिए एक खास संदेश है,आप स्वेच्छा से आत्मनिर्भर बन जाइए, वरना वक़्त खुद आपको आत्मनिर्भर बना देगी।
फिलहाल इंटर का रिजल्ट आ चुका है, हर साल की भांति इस साल भी बच्चे अच्छे प्रदर्शन किए हैं उनको बहुत-बहुत बधाई हो।
— अभिषेक राज शर्मा

अभिषेक राज शर्मा

कवि अभिषेक राज शर्मा जौनपुर (उप्र०) मो. 8115130965 ईमेल [email protected] [email protected]