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कोई भी संविधान से ऊपर नहीं हैं !

मई 2017 में प्रकाशित आलेख “न्यायाधीश को सजा पर सवाल” (लेखक श्री विराग गुप्ता) में कई बिम्ब उभर कर आते हैं, बावजूद जो लोग भारतीय संविधान को लचीला और कमजोर मानते आ रहे थे, उन्हें किसी उच्च न्यायालय के कार्यरत न्यायमूर्ति को मिले 6 माह की जेल की सजा -से एक सबक जरूर लेना चाहिए ! भारत में संविधान सर्वोपरि है, भले ही समय-समय पर आए संवैधानिक-संकट के निदानार्थ  संविधान के संरक्षण और व्याख्या करने का कार्य सर्वोच्च न्यायालय करते हैं ।

सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय कहने मात्र से तात्पर्य किसी न्यायाधीश व न्यायमूर्ति से नहीं होते हैं, उनके खंडपीठ से भी नहीं होते हैं, अपितु वे तो क्रमशः सर्वोच्च या उच्च न्यायालय के प्रतिनिधि भर रहते हैं, जैसे- राष्ट्रपति पूरे राष्ट्र के विदेश में प्रतिनिधि होते हैं, तो वहीं प्रधानमंत्री देश में कार्यपालिका के प्रधान प्रतिनिधि होते हैं।

परंतु कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सी.एस. कर्णन स्वयं को संविधान से भी ऊँचा समझ बैठे । यह दीगर बात है कि न्यायमूर्ति कर्णन ने कई ऐसे भ्रष्टाचार से युक्त न्यायमूर्तियों की सूची गोपनीय तरीके से पी.एम.ओ. को भेजा था, जो कि गोपनीय नहीं रह पाया । इसके बावजूद श्रीमान कर्णन की हठधर्मिता व अतिवादी व्यवहार कहीं से भी उनकी विनम्रता को नहीं दर्शा रहे थे और परिणाम सबके सामने है । वीआईपी संस्कृति के खात्मे के बावजूद ‘अकड़’ प्रवृति को बरकरार रखने से हमारा ही नुकसान है, जो कि अपने पैरों खुद ही कुल्हाड़ी मारने जैसा है । वीआईपी समेत आमलोगों को भी ऐसी प्रवृति से बचने होंगे । ऐसे में न्यायमूर्ति कर्णन को ‘दलित है, इसलिए प्रताड़ित  हुआ’ कहना भी नादानी होगी !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.