चिह्नित स्थानों के प्रतिभाओं की अनदेखी !
बारह करोड़ बिहारी में पद्म अवॉर्ड की संख्या अत्यल्प क्यों ? उदाहरणतः ‘पद्म अवॉर्ड’ -2017 के लिए दिनांक-14 सितम्बर 2016 को मैंने दो महान् इंसान के नाम का nominate किया था, पहला नाम “दीपा मलिक” ।
याद है न आपको ! “रियो पैरालंपिक रजतपदकधारी”, जो 46 वर्ष की उम्र में कमर से नीचे शून्य और देश-विदेश के अन्य 36 स्वर्णपदकधारी स्थिति पहले से कब्जाए हैं और दूसरे, समाज को नए दिशा में ले जाने वाले ‘संत महर्षि मेंही’, जो 08.06.1986 से पहले ‘झूठ, चोरी, नशा, हिंसा, व्यभिचार’ के विरुद्ध विगुल फूँका और ‘सब संतन्ह की बड़ी बलिहारी’ कह संतमत-सत्संग की स्थापना किया, जो कि बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश और नेपाल की 30 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित किए। पद्म अवॉर्ड 2017 के लिस्ट में 5,172 व्यक्तियों के नाम नॉमिनेट हुए थे उनमें 12 नाम मेरे द्वारा ‘नॉमिनेट’ किया गया था।
जिसमें से मात्र एक श्रीमती दीपा मालिक को ‘पद्म श्री’ मिल पाई ! तब 125 करोड़ से अधिक भारतीयों में 5,172 नामांकित हुए और उनमें से मात्र 85 को पद्म सम्मान और उसमें भी 12 करोड़ बिहारी में मात्र 2 को ही इस सम्मान के योग्य समझा गया । विदित हो, वर्ष 2017 के कुल 89 पद्म पुरस्कर्ताओं में 5 विदेशी हैं । जब अपने देश में भारतीयों को सम्मान नहीं है, तो 125 करोड़ की आबादी में 2 ओलम्पिक पदक मिलता है, तो गलत कहाँ है ?
पद्म अवार्ड-2017 के लिए अंतिम तिथि के बारह बजे रात्रि तक 130 करोड़ से अधिक भारतीयों में 5,172 नामांकित हुए, वैसे मीडिया इसे 18,000 से ऊपर बताते हैं, चलिए इसे 18,000 मान लेते हैं ! राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या को जारी अवार्डधारकों के नाम को मूलतः भारत सरकार तय करते हैं । पद्म विभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री के नाम जारी पद्म अवार्ड इसबार 89 व्यक्तियों को देने की घोषणा हुई है, जिनमें 5 विदेशी हैं ।
इस प्रकार भारतीयों को 84 अवार्ड ही दिए गए हैं । भारत सरकार की नजर में 130 करोड़ भारतीयों में 84 व्यक्ति ही योग्य और प्रतिभाशाली है । अगर 130 करोड़ नहीं मानते हैं तो भी 18,000 में नामांकन 84 कम नहीं है क्या ? बिहार को इसमें अब भी दोयम दर्जे ही प्राप्त है, क्योंकि 12 करोड़ बिहारियों में मात्र 2 को ही इस सम्मान के योग्य समझा गया, उनमें भी योगगुरु निरंजनानंद स्वामी छत्तीसगढ़ से आकर मुंगेर बसे हैं, तो श्रीमती बौआ देवी दिल्ली बस गयी हैं । विदित हो, जब अपने देश में भारतीयों को सम्मान नहीं है, तो 130 करोड़ की आबादी में 2 ओलम्पिक पदक मिलता है, तो गलत कहाँ है ?