देश-दुनिया में विशिष्ट है बिहार की ऐतिहासिक संस्कृति
भारतवर्ष में बिहार एक राज्य है । ‘बिहार’ शब्द ‘विहार’ से अंतर्निहित हो न केवल अपनेपन का कारण है, अपितु यह बहुचर्चित शब्द पर-बोध लिए भी संसारवालों को गुदगुदाते हैं और फिर ‘बिहार’ से निःसृत अपत्यवाची-संज्ञा ‘बिहारी’ दुनिया की एकमात्र अस्मिता – संरक्षित ‘संस्कृति’ लिए आज भी चिरनीत हैं ।
बिहार सभ्यता-कालों से सनातन हिन्दू धर्म हेतु चिरपरिचित तो है ही, जहाँ मृत्युपश्चात ‘पिंडदान’ अवस्थिति लिए गयाजी, नाथपंथियों के योगी गोपीचंद, माता भारती-शंकराचार्य-प्रसंग, मोक्षदायिनी-उत्तरवाहिनी गंगा, कोशी-फल्गू नदी, पावापुरी सहित बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध की ज्ञानस्थली बौद्धगया, जैन धर्म के महान तीर्थंकर महावीर की जन्मस्थली कुंडग्राम, सिख धर्म के अंतिम गुरु और खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविंद सिंह का जन्मस्थल, पटना के ईसाइयत चर्च, इस्लाम धर्म से जुड़े मनेरशरीफ़ इत्यादि है।
बिहार में रामायण की माता सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी, गुरु विश्वामित्र-यज्ञभूमि बक्सर, महाभारतकालीन पांडवों के अज्ञातवास कटिहार जिला, दानवीर कर्ण की भूमि मुंगेर, जरासँध का अखाड़ा, श्रीकृष्ण विहारस्थली, छठ महापर्व, सती बिहुला-विषहरी-चांदो सौदागर कथा का भागलपुर, महान मौर्य साम्राज्य, राष्ट्रचिह्न अशोक स्तंभ, पॉल राजवंश, प्राचीन नालंदा-विक्रमशिला विश्वविद्यालय, गणितज्ञ आर्यभट्ट, अल्पायु शहीद खुदीराम बोस और ध्रुव कुंडू, भारत के संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष डॉ0 सच्चिदानंद सिन्हा, प्रथम राष्ट्रपति डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद, नेपाली क्रान्तिकथा का गढ़, प्रसिद्ध संत महर्षि मेंहीं, मधुबनी पेंटिंग्स, मंजूषा चित्रशैली, ज्ञानपीठ कवि रामधारी सिंह दिनकर, बांग्ला उपन्यासकार बनफूल, लोहा सिंह, मैला आँचल के पुरोधा फणीश्वरनाथ रेणु जैसे अविस्मरणीय और अद्वितीय नामों को न केवल बिहार समेटे हैं, अपितु अच्छी और सच्ची तरह सहेज़ कर रखे भी हैं ।