हिंदी फ़िल्म ‘फिल्लौरी’ के नायक की शहादत गाथा भी वह !
देश के ऐसे युवाओं को देश के प्रति ज़ज़्बा पैदा करने के लिए 13 अप्रैल 1919 की ऐतिहासिक व मर्मभेदी घटना को आत्मसात करने चाहिए । इस तारीख को यानी वैशाखी पर्व के दिन अमृतसर में जलियांवाला बाग में रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी ।
इस सभा में युवाओं की फ़ौज, बूढ़े और महिलाएं मौजूद थीं, लेकिन इस बाग़ से निकलने का एक ही रास्ता था । इस सभा को भंग करने के लिए अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने बिना किसी सूचना के अंधाधुंध गोलियां चलवा दी, चूँकि रास्ता एक ही था बाहर निकलने के लिए और वह भी संकरा ।
इसलिए लोग भागने लगे और सभा में मार्मिक भगदड़ होने लगी। फायरिंग पर फायरिंग होते रहे, इन गोलियों के साथ-साथ बाग के कुएं में भी लोग जान बचाने के लिए कूदने लगे और मरने लगे । हजारों मरे, तो हजारों की संख्या में लोग जख्मी हुए । इन्हीं निरीह मृतकों में हिंदी फिल्म ‘फिल्लौरी’ के नायक भी थे । शहीदों को सादर श्रद्धांजलि ।