कबूतर
मेरी ममी मुझे पढ़ातीं,
‘क’ कबूतर कहना सिखातीं,
मैं कहता तब ”कहां कबूतर?”,
”वह तो है घोंसले के अंदर.
गुटरूं-गूं-गूं करता है,
प्यारा-प्यारा होता है,
खूब काम का पक्षी है यह,
कुशल डाकिया होता है.”
मेरी ममी मुझे पढ़ातीं,
‘क’ कबूतर कहना सिखातीं,
मैं कहता तब ”कहां कबूतर?”,
”वह तो है घोंसले के अंदर.
गुटरूं-गूं-गूं करता है,
प्यारा-प्यारा होता है,
खूब काम का पक्षी है यह,
कुशल डाकिया होता है.”