लावणी छन्द गीत- कलम आज जय गाती है
अरि की सुन ललकार युद्ध में,उठे हिलोर जहां हृद में ।
सज्य लुटाने प्राण उन्ही की,कलम आज जय गाती है ।
सीने पर गोली खाकर भी, डटे रहे बांके रण में,
धीर,वीर वो कहां रुके थे,मातृ भूमि जिनके प्रण में,
धन्य किया है जनम वीर ने, मान बढ़ाया माता का,
त्याग दिया घर बार उसी पल,ले आशीष विधाता का,
ऐसी अद्भुत प्रीत वतन से, जहाँ निभाई जाती है।
सज्य लुटाने प्राण उन्ही की,कलम आज जय गाती है ।।1।।
मस्तक कर ऊँचा भारत का,अपनी शान दिखाई थी,
प्रतिद्वन्दी के खेमों में ही, घुसकर धूल चटायी थी,
नहीं डरे, ना थमें कहीं वो, विपदाएं भी स्वीकारी,
हँसकर जां बलिदान कर गए,तनिक नहीं हिम्मत हारी,
हृदय हजारों बिदा दे रहे, धरणी शीश झुकाती है।
सज्य लुटाने प्राण उन्ही की,कलम आज जय गाती है ।।2।।
— रीना गोयल