गीत/नवगीत

लावणी छन्द गीत- कलम आज जय गाती है

अरि की सुन ललकार युद्ध में,उठे हिलोर जहां हृद में ।
सज्य लुटाने प्राण उन्ही की,कलम आज जय गाती है ।
सीने  पर  गोली  खाकर भी, डटे रहे  बांके  रण में,
धीर,वीर वो कहां रुके थे,मातृ भूमि  जिनके प्रण में,
धन्य किया  है जनम वीर ने, मान बढ़ाया माता  का,
त्याग दिया घर बार उसी पल,ले आशीष विधाता का,
ऐसी  अद्भुत  प्रीत वतन  से, जहाँ  निभाई  जाती  है।
सज्य लुटाने प्राण उन्ही की,कलम आज जय गाती है ।।1।।
मस्तक  कर ऊँचा  भारत  का,अपनी शान दिखाई थी,
प्रतिद्वन्दी  के  खेमों  में  ही, घुसकर  धूल  चटायी थी,
नहीं   डरे,  ना थमें कहीं  वो, विपदाएं  भी  स्वीकारी,
हँसकर जां बलिदान कर गए,तनिक नहीं हिम्मत हारी,
हृदय  हजारों  बिदा  दे  रहे, धरणी  शीश  झुकाती है।
सज्य लुटाने प्राण उन्ही की,कलम आज जय गाती है ।।2।।
— रीना गोयल 

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर