कविता

यह कौन…………?

अनगिनत लहरें आती है |
        बहा के मुझे अनंत में ले  जाती है |
         यह  कौन…………?
        उस शून्य से पुकारता है ..मुझे |
        उस  राह  से निहारता है …. मुझे |
          यह कौन……………..?
        गीत के सुरों में  सजाता है…मुझे
         यह  कौन……………..?
       हवाओ के  झोंके -सा सहलाता है, मुझे |
       उस ओर से आने वाले पंछी कुछ  कहते है |
       बादलों के  झुरमुट भी कुछ बुदबुदाते है |
        पपीहे के  इस  दर्द भरे स्वर में,
        किसकी चित्कार है छुपी|
        यह कौन किरणों को बिखेर,
        सपनों से  जगा  जाता है …मुझे |
         यह कौन दे-दे के  थपकियां,
         सुला जाता है……..मुझे |
         यह कौन…………………?
         यह कौन  हाथ पकड़  ,
         मंजिल तक  पहुंचाता है…मुझे
          यह कौन…………………?
          मेरा हो, मुझ में ठहर  जाता है |
          एक धुंध -सी बन समा जाता है |
          मेरे भीतर से यह कौन मुझे बुलाता है |
            मेरे भीतर से यह  कौन  मुझे  बुलाता है ||
 —  प्रीति शर्मा “असीम”

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- [email protected]