यह कौन…………?
अनगिनत लहरें आती है |
बहा के मुझे अनंत में ले जाती है |
यह कौन…………?
उस शून्य से पुकारता है ..मुझे |
उस राह से निहारता है …. मुझे |
यह कौन……………..?
गीत के सुरों में सजाता है…मुझे
यह कौन……………..?
हवाओ के झोंके -सा सहलाता है, मुझे |
उस ओर से आने वाले पंछी कुछ कहते है |
बादलों के झुरमुट भी कुछ बुदबुदाते है |
पपीहे के इस दर्द भरे स्वर में,
किसकी चित्कार है छुपी|
यह कौन किरणों को बिखेर,
सपनों से जगा जाता है …मुझे |
यह कौन दे-दे के थपकियां,
सुला जाता है……..मुझे |
यह कौन…………………?
यह कौन हाथ पकड़ ,
मंजिल तक पहुंचाता है…मुझे
यह कौन…………………?
मेरा हो, मुझ में ठहर जाता है |
एक धुंध -सी बन समा जाता है |
मेरे भीतर से यह कौन मुझे बुलाता है |
मेरे भीतर से यह कौन मुझे बुलाता है ||
— प्रीति शर्मा “असीम”